Balle Da Peer Larth

                                    बल्ले दा पीर लारथ

राजा का तालाब से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित बाबा बल्ले दा पीर लोगों की आस्था का केंद्र है।बाबा बल्ले दा पीर लारथ मंदिर में सर्पदंश, फोड़ा और फिनसी का ईलाज किया जाता है। रोजाना लोग बाबा बल्ले दा पीर मंदिर की परिक्रमा करके अपने कुशल भबिष्य की कामना करते हैं।मंदिर में सुबह से शाम तक बाबा भक्तों का जमाबड़ा देखने को मिलता है।मंदिर में लोग अनाज,गुड़,दूध,दही,फल और मिठाइयां चढ़ाते हैं।बाबा की महिमा अपरंपार रही जिसका नज़ारा हलदून घाटी में बसने बाले लोग भली भांति जानते हैं।हलदून घाटी कभी लहलहाती फसलों के नाम से जानी जाती थी।पौंग बांध बनने पर इस घाटी का अस्तित्व ही मिट गया।ऐसा माना जाता कि जिस समय हलदून घाटी विख्यात थी उस समय वहां गहरे नालों की तादाद भी बहुत अधिक थी।नालों में जहरीले सांपों का बसेरा हुआ करता था।जब कोई सांप किसी को काट लेता था तो पीर बाबा उसका जहर उतार दिया करते थे।सात दशक पहले यह ड्डूहग नामक स्थान पौंग बांध के पानी की लहरों में समा गया।इससे पूर्व पौंग बांध विस्थापित को बाबा बल्ले दा पीर की अपार शक्ति का नजारा अक्सर देखने को मिलता था।कुछ समय बाद इस पीर की अदभुत देवी शक्ति का प्रसाद लोगों को मिलना प्रारंभ हो गया और पीड़ित लोग वहां से एकदम ठीक होकर जाने लगे और बाबा की प्रसिद्धि का प्रचार दिनोंदिन बढ़ता ही गया।मगर सन 1971में पौंग डैम बनने के साथ ही बाबा बल्ले दा पीर का स्थान पानी के बिलकुल बीच आ गया।उस समय मंदिर का पुजारी नन्दू लाल ने बाबा बल्ले दा पीर पिंडी की स्थापना लारथ में कर दी।बाबा बल्ले दा पीर की लारथ में स्थापना होने के चर्चे होने लगे ओर खासकर पौंग बांध विस्थापितों में बाबा के प्रति धार्मिक आस्था फिर से ओर भी बढ़ने लगी।यही बजह की पौंग बांध विस्थापित इसे अपना पूर्वज मानते हुए उसकी रोजाना पूजा अर्चना करते हैं।बाबा की पूजा बैसे समाज का हर बर्ग करता आ रहा,मग़र पौंग बांध विस्थापितों में खास उत्साह देखने को मिलता है। बल्ले दा पीर लारथ के उपलक्ष्य में हर साल जून माह को विशाल दंगल का आयोजन किया जाता है।इस छिंज में दूसरे राज्यों के नामी पहलवान अपना जौहर दिखाकर मन चाहे ईनाम पाकर जाते हैं।छिंज बाले दिन लोग सुबह से पीर बाबा के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना शुरू कर देते हैं।दोपहर बाद दंगल का आयोजन किया जाता और दूसरी तरफ दुकानदार अपनी दुकानें सजाकर मेले की रौनक बड़ा देते हैं।मंदिर के पुजारी स्वर्गीय देस राज खट्टा की देख रेख में यह छिंज करवाई जाती थी।मगर  उनके देहांत हो जाने पर  सपुत्र संजीव खट्टा,संजय खट्टा इस पुनीत कार्य को चलाए हुए हैं।बाबा बल्ले दा पीर नाम से एक रेलवे स्टेशन भी चलाया जा रहा

 

सुखदेव सिंह (  स्वतंत्र पत्रकार )

गांव व डाकघर लारथ

तहसील फतेहपुर

जिला कांगड़ा हिमाचल प्रदेश - 176051

फोन न0 - 00971504680261

Selecting the most suitable college essay services for writing is vital to the quality of your marks. There must be a unique argument, a case study, or even an idea. Intricate ideas could require thorough summary, and academic writing needs to be written professionally. It is crucial to find the perfect service and assignment for one learning the ropes earning excellent grades. If you are not sure which direction to take, read on. Below are the advantages of employing professionals to write for you.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *