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Kote Vali Mata

                कोटे वाली माता                                  

 नूरपुर उपमण्डल मे श्रदालुओं की आस्था का केन्द्र माॅ कोटे वाली शक्तिपीठ नूरपुर उपमण्डल के अंर्तगत राजा का तालाव के पूर्व मे शिवालिक पहाड़ियों के एक शिखर पर कोटे वाली माता नामक शक्तिपीठ का मन्दिर स्थित है। राजा का तालाव कस्बे मे माॅ कोटे वाली का भव्य गेट वना हुआ है। मात्रा चार किलोमीटर की दूरी तह करके गुरियाल गाॅव मे पहाड़ी के शिखर पर माता कोटे वाली का मन्दिर स्थित है। इस मन्दिर मे पहुंचने के लिए पठानकोट से तलाड़ा रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुचा जा सकता है और सड़क मार्ग द्वारा पठानकोट से हिमाचल के प्रवेश द्वार पर स्थित व्यापारिक कस्बे जसूर से होते हुए राजा का तालाव आसानी से पहुचा जा सकता है। कोटे वाली माता के मन्दिर मे टिमटिमाता वल्व 50 कि मी की दूरी तक किसी आसमानी तारे की भाॅति देखा जा सकता है।
मन्दिर परिसर से पांैग बाॅध् व आसपास 50 कि मी तक का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है। इस मन्दिर की नूरपुर उपमण्डल मे बहुत अध्कि मान्यता है। नवरात्रा के दिनों मे यहाॅ लाखों की संख्या मे श्रदालु आते हैं और अपनी मन्नत पूरी होने की खुशी मे माॅ के दरवार मे चढ़ावा चढ़ाते हैं। नवरात्रा के नौ दिनो मे यहाॅ मेले जैसा महौल होता है और नौ ही दिन यहाॅ विशाल भण्डारों का आयोजन किया जाता है।
इस मन्दिर के बारे मे किवंदन्ती है कि 12वी शताब्दी मे दिल्ली के शासक आनन्द पाल तोमर ने दिल्ली का सिहांसन अपने दोहते पृथ्वीराज चैहान को सौपा तो आनन्दपाल तोमर के सम्वन्ध्यिों ने दिल्ली मे विद्रोह का विगुल पफंूक दिया ्रोह का लाभ उठाते हुए राजस्थान मे कोटा और बूॅदी मे पृथ्वीराज चैहान के सम्वन्ध्यिों ने भी विद्रोह का विगुल पफूंक दिया। चारों तरपफ विद्रोह से घिरे पृथ्वी राज चैहान ने हिम्मत नहीं हारी और विद्रोह को बुरी तरह से कुचल दिया। विद्रोही जान वचाकर उत्तर की तरपफ सुरक्षित पहाड़ों को भागे। कोटा और बूॅदीं से पृथ्वीराज चैहान के सम्वन्ध्ी भागकर उत्तर मे शिवालिक की पहाड़ियों मे आकर छिप गये। भागते समय ये लोग अपने साथ अपनी कुल देवी को भी ले आए और पृथ्वी राज चैहान की यही कुल देवी कोटे वाली माता के नाम से आज नूरपुर उपमण्डल ही नहीं अपितु हिमाचल से सटे पंजाव और जम्मू कश्मीर मे भी प्रसिद्व है।
माॅ कोटे वाली शक्तिपीठ के बारे कई दन्त कथाऐं गुरियाल गांव मे प्रचलित हैं। माता के चमत्कार के बारे मे हीरू जनयाल की लोकगाथा आज भी गांव के वड़े बुजुर्गो की जुबानी याद है। वताते है कि गाॅव के एक दम्पति को माॅ के दरबार मे मन्नत मंागने पर कन्या के रूप मे आर्शीबाद प्राप्त हुआ। कन्या दिन प्रति दिन बड़ी हानिे लगी। संन्तान सुख की प्राप्ति और पुत्री मोह मे पड़कर दम्पति माॅ के दरबार मे मन्नौती देना भूल गया। माॅ की आपार कृपा से एक दिन वच्ची गुम हो गई। कई जगह पर प्रश्न लगाए गए। लेकिन वच्ची का कहीं अता पता न चल पाया। थक हार कर दम्पति को माॅ की याद आई। उन्होने माॅ के दरबार मे जाकर दण्डवत मन्नौती मांगी और भूल चुकी मन्नत (सुख्खन )को चढ़ाने की याचना की। माॅ कोटे वाली की आपार कृपा से वच्ची मन्दिर के पिछबाड़े से प्रगट हो गई।पूछने पर वच्ची ने वताया कि वह अपनी अम्मा के पास थी अम्मा उसे हल्वा पूरी खिलाती थी। पूरे गाॅव मे माॅ की जय जयकार हो गई और धीरे धीरे माॅ कोटे वाली की ख्याती दूर-दूर तक फैल गई।वर्ष 1971 से इस मन्दिर के रखरखाव का जिम्मा गुरियाल गाॅव की मन्दिर कमेटी के हाथ मे है। प्रतिवर्ष असूज़ महीने अर्थात सितम्वर अक्तूवर महीने के नवरात्रा मे मन्दिर कमेटी का चुनाव होता है और वर्ष भर यह कमेटी मन्दिर के संचालन का जिम्मा संभालती है। माॅ के मन्दिर मे प्रति वर्ष लगभग 10 लाख तक का चढ़ावा चढ़ता है जिसे कमेटी मन्दिर निर्माण पर खर्च करती है। मन्दिर कमेटी के प्रयासों और माॅ के असीम आशीर्वाद से ही मन्दिर परिसर तक पौढ़ियां और सड़क सुविध उपलव्ध् हो पाई है। माता के मन्दिर की चढ़ाई अब नाममात्र की रह गई है।मन्दिर परिसर मे लगभग 20 दुकाने चल रही हैं और श्रदालुओं की सुविधा के लिए सरांयघर की व्यवस्था की गई है। मन्दिर परिसर मे पीने के पानी की उचित व्यवस्था है।
गुरियाल गांव व आसपास के गांवो के लोगों की प्रशासन से गुहार है कि राजा का तालाव से मन्दिर परिसर तक सड़क की दयनीय हालत का सुधर किया जाए। यह सड़क नवरात्रों मे श्रदालुओं की परेशानी का सबब बनती है। इसी सड़क पर मानव रहित रेलवे क्रासिंग किसी भी समय बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। रेलबे क्रासिंग की मांग को लेकर वर्ष 2009 मे लोगो ने 15वीं लोकसभा के चुनावों का वहिष्कार किया था और यह गांव समूचे हिमाचल मे सुर्खियों मे आ गया था। लोगों की केन्द्र व राज्य सरकार से आग्रह हेै कि शीघ्र रेलवे पफाटक का नवरात्रों मे ब्यस्त सड़क पर किसी अनहोनी घटना को टाला जा सके।

नोट – उपरोक्त कथा आदरणीय पापा जी स्व0 श्री सुखदेव सिंह पठानियां जी द्वारा सुनाई गई व ऐतिहासिक तथ्यों की जाँच के बाद लिखी गई है ।
किरण डढवाल सपुत्री स्व श्री सुखदेव सिंह गांव व डाकघर गुरियाल तहसील फतेहपुर
9418474052 ,8627905208

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