Shibothan Mandir Bharmar
शक्ति पीठ बाबा शिवोथान मंदिर
उतरी भारत के सुप्रसिद्ध शक्ति पीठ बाबा शिवोथान मंदिर प्रति श्रद्धालुओं की अपार आस्था है।मंदिर में सुबह,शाम बाबा के भक्तों का मेला अक्सर देखने को मिलता है।मंदिर में सांप,बिच्छू,फोड़ा फिंसी का ईलाज किया जाता है। श्रद्धालु मंदिर में अनाज, नमक,फल चढ़ाकर उसकी परिक्रमा करते हुए अपने भविष्य की कुशल कामना करते हैं।सर्पदंश की घटना तदोपरांत पीड़ित मरीज को बाबा के मंदिर में लाया जाता है।सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को बिना नामक भोजन खाने को दिए जाने सहित मंदिर की प्यास दी जाती है।सर्पदंश से पीड़ित मरीज जमीन पर सोते हुए बाबा शिवोथान से जहर मुक्त बनाए जाने की कामना करते हैं। मरीज के शरीर से जब तक जहर का प्रभाव कम नहीं हो जाता तब उसे मंदिर में रखा जाता है।ठीक इसी कारण बाबा शिवोथान मंदिर प्रति अन्य राज्यों के लोगों की विशेष आस्था है।सावन भादो महीने में चलने वाले मेले बड़े रोचक होते है।इन मेलों को गुगा नवमी के नाम से जाना जाता है।मंदिर की बगल में दुकानदार दो महीनों तक अपनी दुकानें सजाकर रखते जिसकी वजह से धार्मिक भावना का बोलबाला नजर आता है।दिन रात मंदिर में जागरण चलता जिसमें कई भक्त अपनी कला प्रदर्शन करके जाते हैं। लुधियाना पंजाब की डोगरा एंड पार्टी कभी इतनी दूरी तय करके बाबा के दरबार में जागरण करने आती थी।इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता की बाबा की अपरंपार महिमा के अन्य राज्यों के लोग भी कायल हैं।मेलों दौरान मंदिर में अपना शीश नवाजना प्रत्येक व्यक्ति जरूरी समझता है।ऐसी मान्यता की बाबा शिवोथान मंदिर में माथा टेकने बालों को सांपों का भय बिलकुल नहीं सताएगा।यही नहीं मंदिर चरणामृत,भंगारे का छिड़काब भी लोग यही मंशा रखकर अपने घरों में छिड़काते हैं।
मंदिर की मान्यता अनुसार बावा शिवो थान नजदीकी गांव सिद्धपुर घाड़ में निवास करते थे।बाबा का नाम शिबू हुआ करता था,और वह बचपन से गूंगे, बहरे होते हुए कठोर तपस्या में सदैव लीन रहते थे।ऐसा माना जाता की वर्तमान समय मौजूद मंदिर बाली जगह में बेरी का घना पेड़ हुआ करता था।बाबा शिबू उसी बेरी के पेड़ नीचे बैठकर कठोर तपस्या करते थे।एक बार जहरवीर अपनी सुर मंडली सहित आकाश मार्ग से उसी बेरी के पेड़ ऊपर से गुजरा तो बाबा शिबू ने अपनी दिव्य शक्ति से उसका रथ रोक दिया था।जहरवीर को मजबूरन अपनी मंडली सहित नीचे जमीन पर आना पड़ा था। जहरपीर ने जब नीचे तपस्या में लीन बैठे गूंगे, बहरे बाबा शिबू को देखा तो बह बहुत प्रसन्न हुए।बाबा शिबू ने जहरवीर से कुछ वरदान मांगे जो इस प्रकार से हैं।
सर्वव्याधि विनाष्नम अर्थात मेरे दरवार आने वाले हर प्राणी जहर व व्याधि से मुक्त हो । जाहरवीर ने कहा कि तूने जगत कल्याण के लिए वरदान मांगा है । तेरे परिवार का काई भी पुरूष अपने हाथ से तीन चरणमृत की चूली किसी भी प्राणी को पिलायेगा तो वह जहर मुक्त हो जायेगा। जो मेरे दरवार पर नही आ सकता उसका क्या उपचार होगा । जिस स्थान पर बैठ का तूने मेरे साथ चारपासा खेला है उस स्थान की मिटटी को पुजारियो द्धारा वताई गई विधि अनुसार जो भी प्रयोग करेगा वह भी देष- विदेष में जहर से मुक्त होगा।मेरे दरवार पर आने वाले हर प्राणी की समस्त मनोकामना पूर्ण हो :- यह स्थान तेरेे नाम सिद्ध बाबा शिब्बो थान के नाम से विख्यात होगा व मेरी पूजा तेरे नाम से होगी एवं तेरे दरवार में आने वाले हर प्राणी की हर मनोकामना पूर्ण होगी ।
मै अपने वरदानों की प्रमाणिकता के लिए तेरे दरवार दो विल और वेरी के वृक्ष है इन्हे में कांटों से मुक्त करता हूं । इन दोना बृक्षो के दर्षन मात्र से संकटो से मुक्ति मिलेगी। अंत में जाहरवीर गोगा जी(जहरवीर गोगा को हिन्दू वीर व मुसलमान पीर कहते है) ने बाबा शिब्बो को अपना दिव्य विराट रूप दिखाया और इसी दिव्य रूप में शिब्बो स्थान पर स्थिर हो गए । तदोपरान्त वावा षिव्वो जहरवीर की षक्ति में समा गए ।ं आज बाबा जी के वंषज बाबाजी की परम्परा के अनुसार इस स्थान की महिमा को यथावत रखे हूए है । मन्दिर कमेटी की ओर से भेाजन, ठहरने व पानी की पूर्ण सुविधा उपलव्ध करवाई है । श्रावण व भादमास के हर रविवार को बाबा जी का मेला लगता है । षनिवार, रविवार व सोंमवार को बाबा जी का संकीर्तन होता है । गोगा नौमी के नौवें दिन बाबा जी के नाम का भंडारा होता है। गोगनोमी के पावन दिनों में बाबाजी के आठ सद्धियों पुराने संगलों को मन्दिर के गर्भागृह में पूजा के लिए रखा जाता है ।
मन्दिर के गर्भगृह में स्थित मुर्तियों का विवरण:-बायें ये दाये श्री गुरू मछन्दर नाथ, गुरू गोरखनाथ , बाबा क्यालू, कालियावीर, अजियापाल, जहरवीर मंडलीक,माता बाछला, नारसिंह, कामधेनू, बहन गोगडी, वासूकी नाग, बाबा शिब्बो । प्रचीन षिवलिंग, त्रिदेव की तीन पिंडिया उसके सामने सात षक्ति की प्रतिक पिंडियां बायें ये दाये तृतिया बाबा शिब्बो थान की पिंडि । मन्दिर के सनमुख बाबा का धूना व धूने के साथ बरदानी बेरी का वृक्ष बूरी के सामने बाबा जी के भंगारे के दर्षन भंगारे की प्रयोग विधि:-प्रातःकाल एवं सासंकाल षुद्ध पानी का लोटा ले उसमें चुटकी भर भंगारा डाल दे जिस मनोरथ के साथ प्रयोग करना है उसका सुमरण करो फिर तीन चूली चरणामृत व घर में जन का छिड़काव कर दो । जिस स्थान पर जहर का जख्म हो उसपर लेप कर दें ।
सुखदेव सिंह
गांव व डाकघर लारथ
तहसील फतेपुर जिला कांगड़ा